V.S Awasthi

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परम पूज्यनीय माँ को श्रद्धा सुमन अर्पित




प्रतियोगिता हेतु रचना परम पूज्यनीय माँ को श्रद्धा सुमन अर्पित
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पिता हमारे महादेव और माता राम प्यारी।
माँ से सुन्दर वसुन्धरा पर दिखी ना कोई नारी।।
नौ महीने तक गर्भ में रख निज तन का दिया निवाला।
प्रसव की पीढ़ा सहन करी और जन्म मुझे दे डाला।।
स्तन का अमृतपान करा तन को मजबूत बनाया।
पाल पोष कर बड़ा किया जीवन का मंत्र सिखाया।।
माँ के साथ बिताये हर पल उसकी याद दिलाते।
जब नयनों को बन्द करूँ माँ के दर्शन हो जाते।।
खुद भूखी रहकर के उसने खाना मुझे खिलाया।
खुद गीले में सोती थी सूखे में मुझे सुलाया।।
माँ की मधुर मोहनी सूरत उसकी याद दिलाती।
जब मैं दु:ख में याद करूँ कष्टों को हर ले जाती।।
चाहे जितनी ओढ़ूं रजाई सर्दी नहीं जाती।
माँ जब तन को छू लेती थी गर्मी आ जाती।।
चाहे जितना खाना खा लूं भूख नहीं मिटती।
माँ एक कौर खिला देती थी भूख खतम होती।।
चाहे जितनी खाऊँ दवाई नींद नहीं आती।
माँ एक थपकी दे देती थी नींद तुरत आती।।
सुबह-सुबह जो हमें उठाती वो है मेरी मां।
लोरी गा-गा कर हमें सुलाती वो है मेरी मां।
धूप में जो छाया बन जाती वो है मेरी मां।
बारिश में छतरी बन जाती वो है मेरी मां।।
सारे मर्जों की एक दवा है वो है मेरी मां।
सारी विपदाएं दूर करे जो है वो है मेरी मां।।
धरती से जिसका बड़ा है आंचल वो है मेरी मां।
मेरी सांसों में घुली हुई है वो है मेरी मां।
याद करो तो दर्शन देती है वो है मेरी मां।।
माँ के पय के ऋण को मैं चुका नहीं सकता।
माँ ने जो प्यार दिया मुझको भुला नहीं सकता।।
माँ के चरणों की रज को मैंने चन्दन समझ लिया।
उसके चरणों को सोने का मैंने बिस्तर समझ लिया।।
मां की सारी यादों को मैंने दिल में बसा लिया।
जब जब याद आती है माँ की कोटिशः नमन किया।।
श्रद्धांजलि तुम्हें अर्पित करता माँ आशीष मुझे देती रहना।
अपने कमल रूपी चरणों में स्थान भी मुझको दे देना।।


आपका पुत्र:- विद्या शंकर अवस्थी पथिक कानपुर


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4 Comments

सुन्दर सृजन और बेहतरीन अभिव्यक्ति

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Shnaya

12-Dec-2023 10:48 PM

Nice

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Gunjan Kamal

08-Dec-2023 07:56 PM

👌👏

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